जब से मिली हो तुम, हो जाता हूँ बेकरार
जिसका हैं पल पल करता हूँ इंतज़ार
क्या जादू किया हैं तुमने केसे बताहूँ
हे मेरे हमदम दोस्त तुम्हें केसे जताहूँ
चाँद सितारों से बरी दुनिया मैं
था मेरे लिए अंधियारा
आशा रूपी किरण बैंकर
तुमि ने किया उजियारा
तोड से दिनों के पहचान
बरसों की सी बट हो गयी
चाँद घरी के ये बातें
मेरी जिंदगानी ही बन गयी
जो समय आपके साथ कट जाता हैं
वो ही समय याद आता हैं
अब टू आलम यह हैं की
दोस्तो मैं सबसे पहले आपका ही नाम याद आता हैं
हे मेरे दोस्त भूल मुज्को न जन
खुच देना चाहते हो टू याद हमेसा आना
कम से कम जब आखरी साँस हो
उस समय तुमि ही एक याद आना.
Thursday, February 7, 2008
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