Saturday, February 16, 2008

रोजगार

जीन हाथो ने कलम चलाकर
या फिर कुछ हुनर पाकर
अपने आप को काबील बनाया

वे हाथ आज उठाकर
समाज से कह रहे है
है हम बेरोजगार
दे दो हमे कुछ रोजगार

इन्ही हाथो को जोड़कर आते हो
कुर्शी मीलते ही फिर क्यों भूल जाते हो
बेरोजगारी है सबसे बड़ी समस्या
क्यों नही इसको सुलझाते हो

जीवन पथ पर सब आगे बड़े
ऐसा वीचार अपने बनाओ
मीले सबको रोजगार और उन्थी
ऐसा मीलकर संकलप लगाओ

इन् हाथो से फूल खीलने दो
मधुर संगीत यूँ ही नीक्लने दो
पाप मत इन् हाथो से कराहों
काम देकर इनकी शोभा बढाओ

जय कृशन

जय श्री क्रिशन गोविन्द हरे मुरारे
हम हैं तुमरे, तुम हो हमारे

राधा के प्य्रे, नंद के दुलारे
बंशी बजाये यमुना कीनारे

जय Shri कृषण गोविंद हरे मुरारे
हम हैं तुमारे, तुम हो हमारे

राजभोग छोड़ शाक Vidur घर खाए
माखन मिश्री परभू को खूब भाये
तीन लोक के होकर swami, रथ अरुजन का चलाये

जय श्री कृशन गोविंद हरे मुरारे
हम हैं तुमरे, तुम हो हमारे

मेरी आँखों के तुम हो तारे
इस जीवन के आप ही सहारे
नैया लगाओ दो अब तो कीनारे

जय श्री क्रिशन गोविन्द हरे मुरारे
हम हैं तुमरे, तुम हो हमारे

Thursday, February 7, 2008

मेरे हमदम

जब से मिली हो तुम, हो जाता हूँ बेकरार
जिसका हैं पल पल करता हूँ इंतज़ार
क्या जादू किया हैं तुमने केसे बताहूँ
हे मेरे हमदम दोस्त तुम्हें केसे जताहूँ

चाँद सितारों से बरी
दुनिया मैं
था मेरे लिए अंधियारा
आशा रूपी किरण बैंकर
तुमि ने किया उजियारा

तोड से दिनों के पहचान
बरसों की सी बट हो गयी
चाँद घरी के ये बातें
मेरी जिंदगानी ही बन गयी

जो समय आपके साथ कट जाता हैं
वो ही समय याद आता हैं
अब टू आलम यह हैं की
दोस्तो मैं सबसे पहले आपका ही नाम याद आता हैं

हे मेरे दोस्त भूल मुज्को न जन
खुच देना चाहते हो टू याद हमेसा आना
कम से कम जब आखरी साँस हो
उस समय तुमि ही एक याद आना.

Meri Kavita

कुछ तुम मैं वो बात है
जो और किसी मैं नही
जमने बार को देखा
पर तुम सा नही

तेरे वो शर्मना
तेरी वो नजाकत
दिल को जो छों ले
होंतो से निख्ली वो बात है

कहना मैं छठा हूँ के
तुम बिना नही जिया जाता
आँखों मैं चमक होंतो मैं हँसी
फिर भी खुस नही रा जाता

कब मेरी जिन्दगी मैं आओगी
कब मेरी कह्लोगी
अब तुम ही कह दो
साँस ये रुक ना जाए
आस ये टूट जाए
तेरा दीवाना सिर्फ़ तुमको ही छाए