Friday, April 11, 2008

एक भजन

जीवन की डोर, प्रभु हाथो मैं तेरे
बीच भवंर मैं हूँ, मुर्लीवाले मेरे
तुम bin कौन लगायें पार
हो मेरे तारनहार

भोगो मैं फंसकर
जीवन के din बीतायें
भूलकर प्रभु तुझको
अनमोल श्वास यों ही गंवायें

हार के संसार से
अब प्यास तेरी जगाई
मीरा, शबरी जेसे तो नही
लेकीन प्रभु तेरी याद आयी

गोपियों सा प्रेम मुज्को देना
नैया मेरी तू ही खेना
अवगुण भुलाकर प्रभु मेरे
अपना मुज्को बना लेना

हैं अब मेरी ये ही आस
अब न छोटे ये प्यास
लो बाती सी जलती जाए
भले टूट जह्यें ये श्वास

मेरी तान्हाहिय

मेरी तान्हाहियो को समज सको तो साथ अपना दिजिये
मेरे गम को अपना सको तो प्यार मुज्से कीजिए
राहे नही ये आसा, कांटो से भरा सफर है
गर चल सको इनपे तो हाथ अपना दीजिये
मेरे प्यार को समाज सको तो प्यार मुज्से कीजिए

चाँद तारे तोर्ड सकूं ये मेरी बस की बात नही
तेरे सिवाय कुछ भी तो मेरे पास नही
अपना मुज्को बना सको तो दील मैं मुज्को बसा लीजिये
मेरे प्यार को समाज सको तो प्यार मुज्से कीजिये


इस दुनिया से हूँ बेखबर, कोही मंजिल कोही डगर
अपनी दुनिया मैं ले जा सको तो आवाज़ मुज्को दीजिये
मेरे प्यार को समाज सको तो प्यार मुज्से कीजिये

गुमनाम हूँ मैं, मेरी कोही पहचान
इस दुनिया से बेखबर, ख़ुद से अनजान
मेरी पहचान बन सको तो पता अपना दीजिये
मेरे प्यार को समाज सको तो प्यार मुज्से कीजिये

जिनदगी भर के सफर मैं साथ गर दे सको तो
हमसफ़र हम को बना लीजिये
मेरे तान्हाहियो को समाज सको तो प्यार मुज्से कीजिये