Monday, June 30, 2008

Poem

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Friday, June 6, 2008

प्यार मेरा

प्यार मेरा मुज्से क्यों रूठ गया, बन्धन जन्मों का क्यों टूट गया
आँखें इतनी नम है क्यों, दिया गम तुमने इतना क्यों
फूल चुने तेरे आँगन के लिए कन्तैन है सब मेरे लिए

प्यार मेरा मुज्से क्यों रूठ गया, बन्धन जन्मों का क्यों टूट गया

दूर तक है ये आसमान, जाहूँ तेरे बिन मैं कहना
तेरे बिन सूना सूना लगे मुजे ये जहाँ
है केसी मेरे ये अजब कहानी, गम भारी क्यों मेरे है जिंदगानी

प्यार मेरा मुज्से क्यों रूठ गया, बन्धन जन्मों का क्यों टूट गया

प्यार वो नगमा है जीसको समाजे हर कोही
डूब गयी मिट गयी मगर, मिली मुज्को मेरे मोहमबत
केसे तुमको बताऊँ मेरे कितनी है ये चाहत

प्यार मेरे मुज्से कोयों रूट गया, बन्धन जन्मों का क्यों टूट गया

बस अब टू मेरे ये ही ख्वाहीश, हो तुमसे कभी जुदा
मिट भी जाहूँ, मर भी जाहूँ, दिल मैं रहे मोह्म्बत ये सदा