Saturday, February 16, 2008

जय कृशन

जय श्री क्रिशन गोविन्द हरे मुरारे
हम हैं तुमरे, तुम हो हमारे

राधा के प्य्रे, नंद के दुलारे
बंशी बजाये यमुना कीनारे

जय Shri कृषण गोविंद हरे मुरारे
हम हैं तुमारे, तुम हो हमारे

राजभोग छोड़ शाक Vidur घर खाए
माखन मिश्री परभू को खूब भाये
तीन लोक के होकर swami, रथ अरुजन का चलाये

जय श्री कृशन गोविंद हरे मुरारे
हम हैं तुमरे, तुम हो हमारे

मेरी आँखों के तुम हो तारे
इस जीवन के आप ही सहारे
नैया लगाओ दो अब तो कीनारे

जय श्री क्रिशन गोविन्द हरे मुरारे
हम हैं तुमरे, तुम हो हमारे

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