Monday, June 30, 2008

Poem

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Friday, June 6, 2008

प्यार मेरा

प्यार मेरा मुज्से क्यों रूठ गया, बन्धन जन्मों का क्यों टूट गया
आँखें इतनी नम है क्यों, दिया गम तुमने इतना क्यों
फूल चुने तेरे आँगन के लिए कन्तैन है सब मेरे लिए

प्यार मेरा मुज्से क्यों रूठ गया, बन्धन जन्मों का क्यों टूट गया

दूर तक है ये आसमान, जाहूँ तेरे बिन मैं कहना
तेरे बिन सूना सूना लगे मुजे ये जहाँ
है केसी मेरे ये अजब कहानी, गम भारी क्यों मेरे है जिंदगानी

प्यार मेरा मुज्से क्यों रूठ गया, बन्धन जन्मों का क्यों टूट गया

प्यार वो नगमा है जीसको समाजे हर कोही
डूब गयी मिट गयी मगर, मिली मुज्को मेरे मोहमबत
केसे तुमको बताऊँ मेरे कितनी है ये चाहत

प्यार मेरे मुज्से कोयों रूट गया, बन्धन जन्मों का क्यों टूट गया

बस अब टू मेरे ये ही ख्वाहीश, हो तुमसे कभी जुदा
मिट भी जाहूँ, मर भी जाहूँ, दिल मैं रहे मोह्म्बत ये सदा

Friday, April 11, 2008

एक भजन

जीवन की डोर, प्रभु हाथो मैं तेरे
बीच भवंर मैं हूँ, मुर्लीवाले मेरे
तुम bin कौन लगायें पार
हो मेरे तारनहार

भोगो मैं फंसकर
जीवन के din बीतायें
भूलकर प्रभु तुझको
अनमोल श्वास यों ही गंवायें

हार के संसार से
अब प्यास तेरी जगाई
मीरा, शबरी जेसे तो नही
लेकीन प्रभु तेरी याद आयी

गोपियों सा प्रेम मुज्को देना
नैया मेरी तू ही खेना
अवगुण भुलाकर प्रभु मेरे
अपना मुज्को बना लेना

हैं अब मेरी ये ही आस
अब न छोटे ये प्यास
लो बाती सी जलती जाए
भले टूट जह्यें ये श्वास

मेरी तान्हाहिय

मेरी तान्हाहियो को समज सको तो साथ अपना दिजिये
मेरे गम को अपना सको तो प्यार मुज्से कीजिए
राहे नही ये आसा, कांटो से भरा सफर है
गर चल सको इनपे तो हाथ अपना दीजिये
मेरे प्यार को समाज सको तो प्यार मुज्से कीजिए

चाँद तारे तोर्ड सकूं ये मेरी बस की बात नही
तेरे सिवाय कुछ भी तो मेरे पास नही
अपना मुज्को बना सको तो दील मैं मुज्को बसा लीजिये
मेरे प्यार को समाज सको तो प्यार मुज्से कीजिये


इस दुनिया से हूँ बेखबर, कोही मंजिल कोही डगर
अपनी दुनिया मैं ले जा सको तो आवाज़ मुज्को दीजिये
मेरे प्यार को समाज सको तो प्यार मुज्से कीजिये

गुमनाम हूँ मैं, मेरी कोही पहचान
इस दुनिया से बेखबर, ख़ुद से अनजान
मेरी पहचान बन सको तो पता अपना दीजिये
मेरे प्यार को समाज सको तो प्यार मुज्से कीजिये

जिनदगी भर के सफर मैं साथ गर दे सको तो
हमसफ़र हम को बना लीजिये
मेरे तान्हाहियो को समाज सको तो प्यार मुज्से कीजिये

Saturday, February 16, 2008

रोजगार

जीन हाथो ने कलम चलाकर
या फिर कुछ हुनर पाकर
अपने आप को काबील बनाया

वे हाथ आज उठाकर
समाज से कह रहे है
है हम बेरोजगार
दे दो हमे कुछ रोजगार

इन्ही हाथो को जोड़कर आते हो
कुर्शी मीलते ही फिर क्यों भूल जाते हो
बेरोजगारी है सबसे बड़ी समस्या
क्यों नही इसको सुलझाते हो

जीवन पथ पर सब आगे बड़े
ऐसा वीचार अपने बनाओ
मीले सबको रोजगार और उन्थी
ऐसा मीलकर संकलप लगाओ

इन् हाथो से फूल खीलने दो
मधुर संगीत यूँ ही नीक्लने दो
पाप मत इन् हाथो से कराहों
काम देकर इनकी शोभा बढाओ

जय कृशन

जय श्री क्रिशन गोविन्द हरे मुरारे
हम हैं तुमरे, तुम हो हमारे

राधा के प्य्रे, नंद के दुलारे
बंशी बजाये यमुना कीनारे

जय Shri कृषण गोविंद हरे मुरारे
हम हैं तुमारे, तुम हो हमारे

राजभोग छोड़ शाक Vidur घर खाए
माखन मिश्री परभू को खूब भाये
तीन लोक के होकर swami, रथ अरुजन का चलाये

जय श्री कृशन गोविंद हरे मुरारे
हम हैं तुमरे, तुम हो हमारे

मेरी आँखों के तुम हो तारे
इस जीवन के आप ही सहारे
नैया लगाओ दो अब तो कीनारे

जय श्री क्रिशन गोविन्द हरे मुरारे
हम हैं तुमरे, तुम हो हमारे

Thursday, February 7, 2008

मेरे हमदम

जब से मिली हो तुम, हो जाता हूँ बेकरार
जिसका हैं पल पल करता हूँ इंतज़ार
क्या जादू किया हैं तुमने केसे बताहूँ
हे मेरे हमदम दोस्त तुम्हें केसे जताहूँ

चाँद सितारों से बरी
दुनिया मैं
था मेरे लिए अंधियारा
आशा रूपी किरण बैंकर
तुमि ने किया उजियारा

तोड से दिनों के पहचान
बरसों की सी बट हो गयी
चाँद घरी के ये बातें
मेरी जिंदगानी ही बन गयी

जो समय आपके साथ कट जाता हैं
वो ही समय याद आता हैं
अब टू आलम यह हैं की
दोस्तो मैं सबसे पहले आपका ही नाम याद आता हैं

हे मेरे दोस्त भूल मुज्को न जन
खुच देना चाहते हो टू याद हमेसा आना
कम से कम जब आखरी साँस हो
उस समय तुमि ही एक याद आना.